नई दिल्ली। 63 मून्स टेक्नाॅलाॅजीज लिमिटेड (पूर्व में एफटीआईएल) अपनी एक सब्सिडियरी, द नेशनल स्पाॅट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) पर भुगतान संकट को देखते हुए निरंतर केंद्रित और दुर्भावनापूर्ण कार्यवाही से जूझ रही है। विविध जाँच एजेंसियों द्वारा एनएसईएल, 63 मून्स एवं इसके संस्थापक द्वारा धन का कोई भी दुरुपयोग दर्ज न किए जाने के बावजूद, साजिश के तहत इस समूह पर निशाना साधा जा रहाहै। कंपनी के खिलाफ किए जा रहे इन दुर्भावनापूर्ण कार्यों के चलते इसके शेयरधारकों को 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
63 मून्स टेक्नाॅलाॅजीज के चेयरमैन वेंकट शैरी ने कहा कि कंपनी ने तीन व्यक्तियों, यानी पी. चिदंबरम, तत्कालीन वित्त मंत्री, केपी कृष्णन, तत्कालीन अतिरिक्त सचिव, वित्तमंत्रालय और रमेश अभिषेक, तत्कालीन चेयरमैन, फाॅरवार्ड्स मार्केट्स कमीशन (एफएमसी) की भूमिकाओं पर गंभीरता से विचार किया है और कंपनी का मानना है कि इस संकट कीशुरुआत में इन तीनों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने कंपनी द्वारा निर्मित एक्सचेंज ईकोसिस्टम को नष्ट कर दिया, ताकि उनके प्रतियोगी, नेशनल स्टाॅक एक्सचेंज को इसका लाभमिले। इसके फलस्वरूप 63 मून्स टेक्नाॅलाॅजीज के शेयरधारकों को भारी नुकसान हुआ, रोजगार और अर्थव्यवस्था को आय का भारी नुकसान हुआ।
इसके परिणामस्वरूप कंपनी ने व्यक्तिगत रूप से पी. चिदंबरम एवं अन्य के खिलाफ 10,000 करोड़ रु. का क्षतिपूर्ति का मुकदमा दायर करने का निर्णय लिया है, क्योंकि उन्होंने अपनेअधिकारों का दुरुपयोग कर 63 मून्स के खिलाफ दुर्भावना से प्रेरित कार्य किए। उल्लेखनीय है कि कंपनी ने प्रमाणरूपी दस्तावेजों के साथ इन तीनों के खिलाफ सीबीआई के पास अपराधिकप्रकरण दर्ज कराए हैं। सच्चाई जानने के लिए 63 मून्स द्वारा 4 अगस्त, 2018 को पेश की गई एक खुली सार्वजनिक बहस में भाग लेने के लिए ये लोग सामने नहीं आए।