नई दिल्ली। बिहार ने सर्वोत्तम मुर्गीपालन राज्य पुरस्कार प्राप्त किया है। यह पुरस्कार ‘एग्रीकल्चर टुडे गु्रप‘ द्वारा ‘इंडिया पाॅल्ट्री अवार्ड्स 2020‘ के तहत होटल ताज पैलेस, नई दिल्ली में प्रदान किया गया। राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में डाॅ0 एन. विजयलक्ष्मी, प्रधान सचिव, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार सरकार ने यह पुरस्कार प्राप्त किया। हाल के वर्षों में बिहार में अंडा उत्पादन में हुई आशातीत वृद्धि ने पूरे देश के पाॅल्ट्री उत्पादकों, व्यापारियों और राज्य व देश के नीति-नियंताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा है। 2018-19 के आँकड़ों के अनुसार 44.72 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि के साथ राज्य का वृद्धि दर राष्ट्रीय औसत से चार गुणा अधिक है। यह सब राज्य के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनाये गये कृषि रोडमैप की परिकल्पना के कारण संभव हुआ है।
बिहार के पशुपालन विभाग के आँकड़ों के अनुसार वर्ष 2015-16 में राज्य में कुल अंडा उत्पादन 100 करोड़ था, जो 65 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2018-19 में 176 करोड़ पहुँच गया। 2016-17 व 2017-18 में अंडा उत्पादन क्रमशः 111 करोड़ और 122 करोड़ था। अभी तक के उपलब्ध आँकड़ों के आधार पर वर्तमान वर्ष 2019-20 में 50.57 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर के साथ अंडा उत्पादन 265 करोड़ होने का अनुमान है। राज्य में प्रति व्यक्ति अंडे की उपलब्धता 2016 में मात्र 11 थी, जो वर्ष 2019-20 में बढ़कर 25 हो गई है। विभाग द्वारा दिए गए आँकड़े के अनुसार बिहार में पिछले तीन सालों में अंडा उत्पादन में 65 प्रतिशत, मांस उत्पादन में 19.63 प्रतिशत, मछली उत्पादन में 18.47 प्रतिशत तथा दुग्ध उत्पादन में 17.43 प्रतिशत की वृृद्धि हुई है। परंपरागत तौर पर बिहार कृषि के अलावा अन्य उत्पादों के मामले में एक उपभोक्ता राज्य रहा है। ऐसी ही हालत मुर्गीपालन उद्योग की भी रही है। अब अंडा उत्पादन में बिहार उपभोक्ता राज्य से उत्पादक राज्य की ओर अग्रसर है।
बहुसंख्यक ग्रामीण जनसंख्या वाले बिहार राज्य की अर्थव्यवस्था में पशुपालन की एक बड़ी और प्रमुख भूमिका है। राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (ळैक्च्) में कृषि क्षेत्र के कुल योगदान का 36 प्रतिशत पशुपालन क्षेत्र से आता है। विगत तीन वर्षों में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में पशुपालन का योगदान 145168.27 करोड़ रू0 का रहा। राज्य में गरीबी उन्मूलन, स्वरोजगार और किसानों की आय दोगुनी करने के अभियान में पशुपालन और विशेष कर मुर्गीपालन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
प्रधान सचिव डाॅ0 एन0 विजयलक्ष्मी के सक्षम नेतृत्व में विभाग ने कई कार्यक्रम सफलता से चलाया जिसका फायदा राज्य की ब्रायलर और लेयर फार्मिंग को मिला। स्वरोजगार व किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से विभाग ने कई प्रोत्साहन योजनाएँ शुरू की हैं, जिनमें प्रमुख तौर पर लेयर फार्मिंग में 30 प्रतिशत तक सब्सिडी और ब्याज पर छूट जैसी योजनाओं के तहत पिछले तीन वर्षों में 75.5 करोड़ रूपये आवंटित किए जा चुके हैं। मुर्गीपालकों के लिए नियमित तौर पर प्रशिक्षण व अन्य सहयोग कार्यक्रम किए जाते हैं। ’जीविका’ जैसे महिलाओं के स्वयं-सहायता समूह के माध्यम व सहयोग से अब तक 116 करोड़ रूपये के बराबर के छोटे निवेश वाले किस्मों की मुर्गियों का वितरण किया जा चुका है, जिनमें अंडा उत्पादक और मांस उत्पादक, दोनों मुर्गियाँ शामिल हैं।
विभाग ने राज्य के समन्वित बाल विकास योजना निदेशालय (प्ब्क्ै) और समाज कल्याण विभाग को साथ जोड़कर शिशुओं और अन्य अल्प सुविधा प्राप्त बच्चों में पोषाहार सुरक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण कार्य किया है। राज्य के सभी आंगबाड़ी केन्द्रों पर दूध और अंडे को बच्चों के आहार में शामिल करवाने की दिशा में यह एक बहुत बड़ा कदम है। इस योजना के तहत दूध पाउडर की आपूर्ति काॅम्फेड के माध्यम से और अंडे की आपूर्ति विभाग द्वारा सहायता प्राप्त लेयर उत्पादकों से कराना सुनिश्चित किया गया है।
बिहार में वर्तमान में चल रही ये सभी योजनाएँ व कार्यक्रम बिहार सरकार के द्वारा बनाये गये कृषि रोडमैप के तहत संचालित की जा रही हैं। अंतरराष्ट्रीय पशुपालन अनुसंधान संस्थान और बिल व मिलिन्डा गेट्स फाउन्डेशन के सहयोग से बिहार लाईभस्टाॅक मास्टरप्लान तैयार किया गया है। राज्य में पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के द्वारा ज्ञान संवर्द्धन एवं तकनीकी सहयोग के लिए नये बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (ठपींत ।दपउंस ैबपमदबमे न्दपअमतेपजल) बनाया गया है ताकि राज्य के पशुपालकों को पशुपालन, गौ-पालन, मुर्गीपालन, बकरीपालन, मछलीपालन इत्यादि में ज्यादा-से-ज्यादा तकनीकी सहयोग प्राप्त हो।
वर्तमान में बिहार में मुर्गीपालन क्षेत्र में हो रहे विकास से बड़ी संख्या में नौजवान पे्ररित हो रहे हैं और स्वरोजगार के तौर पर इसे अपना रहे हैं। राज्य में विकास और सफलता की यह कहानी अभी शुरू ही हुई है।