केंद्र सरकार देगी दिल्ली में अनधिकृत कालोनियों के 40 लाख लोगों को तोहफा

नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने दिल्ली के अनधिकृत कालोनियों के निवासियों को मालिकाना अधिकार अथवा उसे गिरवी रखने/हस्तांकतरण का अधिकार प्रदान करने/मान्यता देने के नियमनों को अपनी मंजूरी दे दी है। मंत्रिमंडल ने इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए संसद के अगले सत्र में विधेयक पेश करने की भी मंजूरी दे दी है।

इस निर्णय से लगभग 175 वर्ग किलोमीटर में फैली अनधिकृत कालोनियों के 40 लाख से अधिक निवासियों को लाभ होगा, क्योंकि इन कालोनियों में विकास/पुनर्विकास किया जा सकेगा, जिससे स्वच्छ, सुरक्षित और स्वस्‍थ रहन-सहन के लिए वातावरण उपलब्ध होगा। अनधिकृत कालोनियों के निवासियों को मालिकाना/हस्‍तांतरण अधिकार, बुनियादी अवसंरचना और नागरिक सुविधाओं के अभाव जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ये प्रमुख मुद्दे इस ऐतिहासिक कदम से हल हो जाएंगे।

मालिकाना दस्तावेजों को मान्यता दिए जाने के कदम से इन कालोनियों में संपत्ति के स्वामियों को संपत्ति के वैधानिक लेनदेन की सुविधा होगी। संपत्ति पर वैधानिक हक प्रदान करने के अलावा इस निर्णय से संपत्तिधारकों को सुरक्षित अवसंरचना में निवेश करने का प्रोत्साहन मिलेगा, जिसके कारण इन कालोनियों में रहन-सहन की स्थिति में सुधार आएगा। यह निर्णय 1,797 चिह्नित अनधिकृत कालोनियों पर लागू होगा, जहां निम्न आय वर्ग के लोग रहते हैं। यह निर्णय डीडीए द्वारा चिह्नित 69 समृद्ध कालोनियों पर लागू नहीं होगा, जिनमें सैनिक फार्म, महेन्द्रू एंक्लेव और अनन्त राम डेयरी शामिल हैं।

मालिकाना हक कार्पेट एरिया/भूखंड के आकार के आधार पर मामूली शुल्क के भुगतान पर दिया जाएगा। अनधिकृत कालोनियों के आसपास के रिहायशी इलाके की उच्चतम वर्ग की कालोनियों के सर्किल रेट के मद्देनजर सरकारी जमीन पर बनी कालोनियों के संबंध में शुल्क 0.5 प्रतिशत (100 वर्गमीटर से कम), एक प्रतिशत (100-250 वर्गमीटर के लिए) और 2.5 प्रतिशत (250 वर्गमीटर से अधिक) होगा।

निजी जमीन पर बनी कालोनियों पर शुल्क सरकारी भूमि पर लागू होने वाले शुल्क के आधे के बराबर होगा। संसद के आगामी सत्र में, केन्‍द्र सरकार जनरल पॉवर ऑफ एटॉर्नी (जीपीए), वसीयत, बेचने, खरीदने और कब्‍ज़े में लेने संबंधी समझौतों के दस्‍तावेजों को मान्‍यता देने के लिए एक विधेयक लाएगी, जिसमें इसके लिए अनधिकृत कालोनियों के निवासियों को एक बार रियायत दी जाएगी। विधेयक में पिछले लेन-देन पर पंजीकरण शुल्‍क और स्‍टाम्‍प डयूटी की व्‍यवस्‍था होगी और सर्कल रेट शुल्‍कों से कम पर आयकर देनदारी का मुद्दा भी हल होगा। संपत्ति के हस्‍तांतरण विलेख जारी करने और पंजीकरण के लिए डीडीए सरल प्रक्रिया रखेगी।

डीडीए अनधिकृत कालोनियों/अनधिकृत कालोनियों के कलस्‍टरों की रूपरेखा प्रस्‍तुत करेगा। डीडीए सभी अनधिकृत कालोनियों के लिए स्‍थानीय क्षेत्र योजना (एलएपी) तैयार करेगा। किसी प्रकार का दंड और बाहरी विकास शुल्‍क (ईडीसी) का प्रावधान नहीं होगा।

जिन लोगों के पास कई प्‍लॉट/फ्लैट हैं, उनकी सभी संपत्तियों को मिलाकर क्षेत्र में लागू दर पर शुल्‍क लिया जाएगा।
लोगों के पास यह विकल्‍प होगा कि वे एक वर्ष में तीन समान किस्‍तों में शुल्‍क का भुगतान करें। जो भी व्‍यक्ति एक किस्‍त में पूरी राशि का भुगतान कर रहा है, उससे तत्‍काल मालिकाना अधिकार मिल जाएगा। दो किस्‍तों का भुगतान करने पर अल्‍पकालीन अधिकार दे दिए जाएंगे, जिन्‍हें पूर्ण और अंतिम भुगतान के बाद स्‍थायी अधिकारों में बदला जा सकेगा।  देर से भुगतान करने पर 8 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से साधारण ब्‍याज को आकर्षित किया जाएगा। रिहायशी उद्देश्‍य के लिए हस्‍तांतरण विलेख निष्‍पादित किया जाएगा, चाहे उसका उपयोग कुछ भी हो।

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