500 से ज्यादा मजदूरों की मदद के लिए प्रवासी रोजगार योजना के साथ सहयोग

नई दिल्ली। होम टेक्सटाइल क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अग्रणी कंपनी वेलस्पन इंडिया लिमिटेड महामारी के कारण विस्थापित हुए 500-600 प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने का लक्ष्य निर्धारित किया है। रोजगार के अवसर पैदा करने और उनके लिए आजीविका जारी रखने के उद्देश्य के साथ कंपनी ने प्रवासी श्रमिकों को रोजगार प्रदान करने के लिए सोनू सूद की एक पहल प्रवासी रोजगार योजना के साथ सहयोग किया है। कुशल और अकुशल दोनों तरह के प्रवासी श्रमिकों को अंजार और वापी में वेलस्पन की विनिर्माण संयंत्रों में विभिन्न भूमिकाओं में नियोजित किया जाएगा।

कोरोनोवायरस के प्रसार को रोकने के निवारक उपाय के रूप में देश में लगाए गए लॉकडाउन ने प्रवासी श्रमिकों को गंभीर रूप से प्रभावित किया। इनमें से अनेक श्रमिकों की नौकरी चली गयी या वे अपने घर-कस्बों की ओर वापस चले गए। इसे संज्ञान में लेते हुए, वेलस्पन इंडिया ने एक स्थायी नौकरी के अवसर के साथ पुराने माहौल में वापस जाने में मदद करने के लिए प्रवासी रोजगार योजना के साथ सहभागिता की है। कंपनी बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के कामगारों को काम पर रखेगी और उनके यात्रा व्यय का ध्यान रखेगी। एक बार जब श्रमिक विनिर्माण संयंत्र में पहुंच जाते हैं, तो उन्हें आवास, चिकित्सा और कैंटीन की सुविधा भी प्रदान की जाएगी। कंपनी अकुशल कामगारों को विनिर्माण इकाई में उनकी भूमिका के लिए पर्याप्त प्रशिक्षण भी प्रदान करेगी।

इस पहल के बारे में सुश्री दीपाली गोयनका, ज्वॉइंट एमडी और सीईओ, वेलस्पन इंडिया लिमिटेड ने कहा कि, “महामारी ने दुनिया के कई देशों को प्रभावित किया है। हालांकि भारत में सबसे अधिक प्रभावित समुदायों में से एक समुदाय प्रवासी श्रमिकों का था। कोविड-19 से उपजी अभूतपूर्व परिस्थितियों के चलते कई श्रमिकों ने अपना रोजगार खो दिया और कई अन्य अपने-अपने घरों की ओर लौट गए। अपने समुदाय को सर्वाधिक महत्व देने के हमारे मूल्यों के अनुसार हमने प्रवासी रोजगार योजना के साथ मिलकर 500 से ज्यादा प्रवासी श्रमिकों को गुजरात में अपनी विनिर्माण केन्द्रों पर रोजगार प्रदान करके उन्हें उनके पैरों पर वापस खड़ा करने में मदद की है।”

अपने कर्मचारियों के स्वास्थ्य और बेहतरी को सुनिश्चित करने के लिए, वेलस्पन ने अपने कारखानों में एक मजबूत प्रणाली की नींव रखने सहित कई उपाय किए हैं। इन्हें पेंटा प्रोटोकॉल कहा जाता है, जो एक पञ्च-स्तरीय सुरक्षा ढाँचा है जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग संबंधी दिशानिर्देश, कार्यस्थल की पद्धतियाँ, थर्मल स्कैनिंग जैसे स्वच्छता और कई अन्य सख्त नियम शामिल हैं।

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