महिलाओं की शिकायत पर नहीं हो रही एफआईआर दर्ज, छेड़खानी का मामला भी गंभीरता से नहीं लेती पुलिस

 


नई दिल्ली। दिल्ली के द्वारका सेक्टर-7 की तीन महिलाओं की शिकायत के बावजूद दिल्ली पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। महिलाओं की शिकायत उनकी सुरक्षा से संबंधित है। महिलाओं ने मामले की गंभीरता को देखतै हुए एसएचओ और पुलिस उपायुक्त दोनों को शिकायत की है। उपायुक्त ने द्वारका सेक्टर-9 थाने के प्रभारी को तुरंत कार्रवाई के आदेश भी दे दिए थे लेकिन एसएचओ ने कोई कार्रवाई नहीं की। तीनों महिलाएँ पुलिस के इस ढीले रवैये को दुर्भाग्यपूर्ण बता रही हैं। उनका मानना कि दिल्ली पुलिस कार्रवाई करने के लिए किसी बड़े हादसे की प्रतीक्षा कर रही है। पुलिस उपायुक्त को शिकायत से पहले राष्ट्रीय महिला आयोग और दिल्ली महिला आयोग से भी गुहार लगाई थी।
मामला द्वारका सेक्टर-7 की मीडिया सोसायटी का है। यहां की तीन महिलाएँ, रानू, सविता और मंजू (बदले हुए नाम), लगातार मानसिक प्रताड़ना और निजता के उल्लंघन का शिकार हो रही हैं। इन महिलाओं का आरोप है कि इनकी सोसायटी के ही एक निवासी संजय झा की संदिग्ध गतिविधियों के कारण उन्हें जान-माल का खतरा है।
रानू और मंजू ने कुछ महीने पहले अपनी सोसायटी के अध्यक्ष को शिकायत की थी। उसके बाद मामला पुलिस और महिला आयोग (दिल्ली और राष्ट्रीय दोनों) तक लेकर गईं। लिखित शिकायत के अनुसार, संजय झा सोसायटी पार्किंग में उनकी कार और राह चलते उनकी तस्वीरें खींचते हैं और उनकी निजी जानकारी दूसरों तक भेजते हैं। यह उनकी निजता का उल्लंघन है। कई बार फब्तियां कसने से भी बाज नहीं आते हैं।
एक पीड़ित महिला रानू ने अपनी शिकायत में यह भी बताया है कि सोसायटी गेट के सामने उन पर हमला हुआ था । उनके पति अक्सर काम के सिलसिले में बाहर रहते हैं और इस वजह से वह हमेशा असुरक्षित महसूस करती हैं। उनका यह भी कहना है कि संजय झा से मुझे और मेरे परिवार के सदस्यों की जान को खतरा है।
पीड़ित सविता ने अपनी शिकायत में कई घटनाओं का ब्यौरा दिया है। निजता और छींटाकशी की बात कही गई है। तीसरी पीड़िता मंजू ने अपनी शिकायत में कहा है कि इसी सोसायटी में ए-603 में रहने वाले संजय झा लंबे समय से उन्हें परेशान कर रहे हैं। वह उनकी कार की तस्वीरें खींचकर दूसरों को भेजते हैं। शिकायत के बावजूद पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की है। मंजू ने बताया था कि कुछ महीने पहले उसकी मां की बाईपास सर्जरी हुई थी और उन्हें डायबिटीज भी है। इसके अलावा परिवार के सदस्य भी डायबिटीज जैसी बीमारी से जूझ रहे हैं।
यहाँ मंजू के परिवार पर आए पहाड़ जैसे दुःख का उल्लेख करना जरूरी है। उस दुःखद और दुर्भाग्यपूर्ण घटना के तार संजय झा के परेशान करने वाले रवैये से जुड़े हैं। जब मंजू की माँ को पता चला कि संजय झा उनकी बेटी को तरह-तरह से परेशान कर रहा है तो वह बहुत तनाव में रहने लगीं और लंबे समय तक तनाव झेलने का नतीजा यह हुआ कि वह गंभीर बीमारी से ग्रसित हो गईं। अंततः वह 26 दिसंबर 2024 को कालकवलित हो गईं।
तीनों महिलाओं ने लंबी मानसिक यातना झेलने के बाद मिलकर आपराधिक मानसिकता के लोगों से डट कर मुक़ाबला करने का फैसला किया। उनका मानना है कि अपनी सुरक्षा के लिए खुद आगे आने पड़ता है। कई बार छेड़खानी, छींटाकशी, निजता में दखल आदि को लेकर पुलिस में शिकायत करने और आवेदन देने पर भी एफआईआर दर्ज नहीं हो पाती है। पुलिस की अनदेखी और ढुलमुल रवैये के बावजूद इन तीनों महिलाओं ने संकल्प लिया है कि जब तक दोषी के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं होगी तब तक उनकी लड़ाई जारी रहेगी।

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