दिल में चिंगारी खोजिए और कुछ करके दिखाइए


नई दिल्ली।
  हर दिल में एक चिंगारी होती है लेकिन बहुत कम लोग इसे पहचान पाते हैं या इसकी आंच महसूस कर पाते हैं । हिरण के अंदर ही कस्तूरी छिपी होती है लेकिन हिरण भागता रहता है । कोई उसे बताए तो शायद उसकी दौड़ खत्म हो जाए । हर व्यक्ति कुछ खास गुण के साथ पैदा होता है लेकिन उस गुण की पहचान होने में उम्र भी बीत जाती है । मशहूर फिल्म अभिनेत्री माधुरी दीक्षित ने यह बात कही है कि हर दिल में एक चिंगारी होती है , उसे खोजिए और खुद से कहिए कि कुछ करके दिखाना है । यह माधुरी दीक्षित ने क्यों कहा? जब उसने कैंडल नाम से सिंगिंग वीडियो किया ।

अभी तक हम माधुरी को एक धक धक गर्ल के रूप में जानते हैं लेकिन कैंडल के गीत के बाद उनकी नयी पहचान सामने आई है एक प्रतिभाशाली गायिका की । क्या माधुरी पहले से गाती थी ? उनका कहना है कि हां । गाती थी लेकिन अबोध फिल्म मात्र सोलह साल की उम्र में मिल गयी तो अभिनय को ही समर्पित हो गयी । कुछ फिल्म शुरू में नहीं चलीं लेकिन अंदर की चिंगारी जलती रही और आखिर हिंदी फिल्मों की स्टार बनी । कभी वो धक धक गर्ल तो कभी एक दो तीन जैसे गीतों पर डांस से शिखर पर पहुंच गयी ।

माधुरी का कहना है कि स्कूल में स्टेज पर गाती थी और अब जाकर कैंडल के रूप में वह प्रतिभा सामने लाई है । माधुरी का कहना है कि यह गीत एक उम्मीद वाला गीत है । मेरी मम्मी हमेशा मुझे एनकरेज करती कि तुम अपना काम ठीक से करोगी तो सफलता मिलेगी । तेजाब फिल्म के हिट होने के बाद मुड़ कर नहीं देखा । सफलता की सीढ़ियां चढ़ती चली गयी माधुरी । इसीलिए वह युवाओं को संदेश दे रही है कि निराश नहीं होना बल्कि दिल में छिपी चिंगारी को पहचानना है और फिर कहिए कि कुछ करके दिखाना है ।

अभी ज्यादा दिन नहीं बीते और न ही आप ज्योति को भूले हो जिसने गुरुग्राम से दरभंगा तक बारह सौ किलोमीटर तक साइकिल चला कर अपने पापा को घर पहुंचाया । शायद संकट की घड़ी में उसने अपने अंदर की चिंगारी खोज ली । फिर कुछ करके दिखाने की ठान ली और पहुंच गयी साइकिल चलाते दरभंगा । कैंसर ने युवराज सिंह को क्रिकेट से दूर कर दिया लेकिन चिंगारी जल रही थी और युवराज ने वापसी की और डेढ़ सौ रन की बड़ी पारी खेलकर कुछ करके दिखा दिया । मनीषा कोईराला और सोनाली बेंद्रे ने आत्मशक्ति से कैंसर की जंग जीती । सोनू सूद को लोग दबंग का विलेन ही जानते- पहचानते थे लेकिन इस कोरोना के संकट में जिस तरह से उसने मजदूरों का सहयोग किया वह उसे हीरो बना गया । सलमान खान भी नये से नये ढंग से समाजसेवा में जुटा है । क्या ये उदाहरण हमें अपने अंदर छिपी चिंगारी को खोजने के लिए काफी नहीं ?

हिसार के ही ऐसे योद्धाओं को मत भूलिए । एकता भ्याण जिसने अपनी शारीरिक स्थिति को भूल कर तीन तीन गोल्ड मेडल जीते और प्रधानमंत्री तक तारीफ किए बिना न रहे । प्रदीप सिंह हमारा कवि जो व्हील चेयर पर होकर भी अशक्त नहीं ।  वह कहता है कि जो उसे अशक्त समझते हैं वे अशक्त हैं । कुलदीप ढाका जो मात्र डेढ़ अंगुली से टाइप कर साहित्य रचे जा रहा है । तारा चंद सुधार का बेटा नितिन जो अशक्त होकर होने के बावजूद कमाल का पेंटर है । उसक  गुरु दीपक दांगी भी ।  दूर नहीं जाइए । अपने अंदर जाइए और खोज लीजिए वह चिंगारी और कुछ करके दिखाइए ।

दुष्यंत कुमार के शब्दों में :
इक चिंगारी कहीं से ढूंढ लाओ दोस्तो 
इस दीये में तेल से भीगी हुई बाती तो है ,,,
 
 कमलेश भारतीय, वरिष्ठ पत्रकार 

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