निर्मोही अखाड़े ने रखी सरकार के समक्ष अपनी मांग


नई दिल्ली।  निर्मोही अखाड़ा जो सनातन और पुरातन समय से चला आ रहा है यहाँ तक कि रानी लक्ष्मी बाई ने भी निर्मोही अखाड़े में ही अंतिम सांस ली थी और अब ऐसे अखाड़े को भुला दिया जा रहा है जिन्होंने न सिर्फ देश की आज़ादी में योगदान दिया बल्कि देश की संस्कृति और संस्कार को भी बचाये रखा। इस अखाड़े के साधु संतो का कहना है कि राम मंदिर बनाने का हमारा भी योगदान होना चाहिए क्योंकि हमारी परंपरा कोई एक दो दिनों की नही है बल्कि देश की आज़ादी के समय से अब तक हमने हमेशा ही पूरा योगदान दिया है। आज राजेंद्र दास जी महाराज वृन्दावन, राजाराम चन्द्राचार्य जी महाराज डाकोर गुजरात, रामसेवक दास जी महाराज ग्वालियर, सीताराम दास जी महाराज गोवर्धन, धन्वंतरि दास जी महाराज वृन्दावन और हर्षवर्धन कौशिक गोवर्धन की पीठ ने हार्दिक चोपड़ा व डॉ. राज सिंह को सलाहकार नियुक्त किया है जो सरकार के साथ कोर्डिनेट करेंगे। आज निर्मोही अखाड़े के संतो होम सेक्रेटरी से मिलना है ताकि वो अपनी मांगे सरकार तक पहुंचा सके कि सुप्रीमकोर्ट की जजमेंट के हिसाब से अयोध्या मामले के निर्माण में हमारा क्या योगदान है क्योंकि सुप्रीमकोर्ट आदेशानुसार निर्मोही अखाड़े को रखा जाए और उन्हें उचित स्थान दिया जाए, जबकि हमारा कहना है कि निर्मोही अखाड़ा बनता है 15 सदस्यों से और उनमे से पांच को कम से कम रखा जाए। मुख्य मांग यह है की निर्मोही अखाड़ा शुरू से राम मंदिर निर्माण से जुड़ा रहा है इसलिए जब भूमि पूजन किया जाए तब उसमे पहला पत्थर हमारे पंचो द्वारा रखा जाए और मंदिर निर्माण में भी हमारा योगदान हो और सरकार राम मंदिर निर्माण के लिए नई ट्रस्ट बनाने जा रही है उसमे निर्मोही अखाड़े के अधिकांश ट्रस्टी को रखा जाए।

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