ई-गवर्नेंस से गांवों का होगा विकास: पीपी चैधरी

केन्द्रीय राज्य विधि एवं न्याय और आईटी मंत्री

आपकी सरकार और आपका विभाग डिजिटल इंडिया पर पूरा फोकस कर रहा है। आखिर इसका मकसद क्या है ? काम तो और भी हैं ?
हमारे प्रधानमंत्री देश को विश्व पटल पर आगे लाना चाहते हैं। आईटी के क्षेत्र में मेक इन इंडिया, स्ट्रार्ट ऑफ इंडिया, स्टेंड ऑफ इंडिया और स्किल ऑफ इंडिया एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। यह समय डिजिटल का है। हर कोई स्मार्ट होना चाहता है, इसके लिए डिजिटल इंडिया सबसे सशक्त माध्यम है। देश में विभिन्न क्षेत्रों में नए नए स्टार्टअप्स व नवाचार आ रहे हैं, 72 फीसदी स्टार्टअप 35 वर्ष की आयुवर्ग के युवाओं द्वारा शुरू किए गए हैं, जो एक शुभ संकेत हैं।
सबका साथ, सबका विकास- मोदी सरकार के इस नारे को पूरा करने में अहम भूमिका है डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट की जिसकी छाप जल्द ही गांव-गांव तक दिखने वाली है। मार्च 2017 तक देश की 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर के जरिए डिजिटली कनेक्ट कर दिया जाएगा। जुलाई 2015 में शुरू हुए डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट के जरिए मोदी सरकार ना सिर्फ ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देना चाहती है, बल्कि ये सुनिश्चित भी करना चाहती है कि सरकारी योजनाओं का पूरा फायदा देश के दूर-दराज के गांव तक पहुंचे।

सरकार ने डिजिटल इंडिया को लेकर कई काम तो किए, लेकिन अभी भी इलेक्ट्ाॅनिक्स के क्षेत्र में काफी इंपोर्ट हो रहा है ?
हां, वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में प्रति वर्ष साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए का इंपोर्ट हो रहा है। हम चाहते हैं कि 2020 तक हमारा इम्पोर्ट शून्य हो जाए और भारत एक्सपोर्ट करे। बीते दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय में एक नई शुरूआत हुई है, जिसमें विद्यार्थी रिसर्च करेंगे और बेहतर उत्पाद तैयार किए जाएंगे, ताकि भारत का एक्सपोर्ट मार्केट बढ़ें। इसके लिए सभी सहयोग कर रहे हैं। सफल हुआ तो पूरे देश के विश्वविद्यालयों में इसे लागू करेंगे और खास कर आईटी कॉलेज में।

दिल्ली जैसे शहरों में तो डिजिटल की बात खूब हो रही है, लेकिन गांवों में ? भारत तो गांवों में बसता है।
देश में दो लाख पचास हजार पंचायतें हैं और उनको डिजिटल किया जा रहा है। फाइबर केबल का कार्य चल रहा है जो दिसम्बर 2017 तक पूरा होगा, जहां फाइबर नहीं होगी उन गांवों को वाई-फाई से कनेक्ट किया जाएगा। जिससे की आमजन को सभी सुविधाएं मिल सकें। डायरेक्ट सेवा मिलने से भ्रष्टाचार समाप्त होगा और कार्य त्वरित रूप से होगा। जैसा कि पूर्व प्रधानमंत्री भी कहते थे कि केन्द्र से किसी योजना में एक रुपया भेजते हैं, तो लाभार्थी तक केवल पन्द्रह पैसे ही पहुंचते हैं, इसीलिए डिजिटल सिस्टम डेवलप किया जा रहा है। लाभार्थी को योजना का पूरा लाभ मिले और नीचे के स्तर पर जो भ्रष्टाचार है वो समाप्त हो जाए।

जब हम डिजिटल की ओर बढते हैं, तो साइबर थ्रेट जैसी समस्याएं भी साथ आती हैं। सरकार इसके लिए क्या कर रही है ?
साइबर सुरक्षा को लेकर केंद्रीकृत व्यवस्था नहीं है, बल्कि विकेंद्रीकरण की व्यवस्था है और हर मंत्रालय, हर विभाग साइबर सुरक्षा को लेकर पूरी तरह उपकरणों से सुसज्जित है। साइबर सुरक्षा को लेकर सरकार पूरी तरह चैकन्नी है। कोई चिंता की बात नहीं है। पूरे देश को देखने के लिए हमारा मंत्रालय भी वैल इक्विप्ड है। साइबर अपराध के मामलों को लेकर हमारी नीति रियेक्टिव (प्रतिक्रियावादी) नहीं है, बल्कि प्रो-एक्टिव (अग्रसक्रियता वाली) है। आंकड़ों पर नजर डालें तो साइबर अपराधों की संख्या में पहले की तुलना में कमी आई है।

केंद्र सरकार ने नकदी पर कम जोर और ई-पेंमेंट पर अधिक ध्यान देने की बात कही है। लेकिन बीते दिनों डेबिट कार्ड हैक और आॅनलाइन ट्ांजेक्शन में भी लोगों को दिक्कतें आई हैं। उससे कैसे निबटेंगे ?
नकदीरहित लेनदेन कोे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आह्वान किया है कि नकदी पास में होने पर लूटपाट और चोरी की आशंका अधिक होती है। जहां तक बात डेबिट कार्ड हैक होने और उनसे अनधिकृत तरीके से लेनदेन का है, मैं यह कहूंगा कि बैंक भी पूरी तरह साइबर अपराध रोधी प्रणाली से युक्त हैं। बैंकों में अलग से साइबर सुरक्षा की व्यवस्था है।

समय-समय पर काॅमन सिविल कोड की बात आपकी सरकार करती है। क्या स्थिति है उसकी ?
कॉमन सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) लागू करने के लिए लॉ कमिश्नर ऑफ इंडिया से रिपोर्ट मांगी गई है। अगले साल तक रिपोर्ट मिल जाएगी, तब आगे की कार्रवाई होगी। विधि के मुताबिक इसको लागू होना भी चाहिये, ऐसा संविधान में भी है।

 

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