नई दिल्ली। जब आने वाली पीढ़ियां आपसे जबाव मांगेंगी कि आखिर आपने उन्हें इतना प्रदूषण भेंट में क्यूं दिया तो क्या जबाव पायेंगे आप! खैर, आने वाली पीढ़ियों की बात तो हम बाद में करेंगे। पहले उनकी बात कर लेते हैं, जो आपकी वजह से इस प्रदूषण में रहने को मजबूर हैं। गरीबी का प्रदूषण तो वो झेल ही रहे थे, लेकिन अब जानलेवा हवा का प्रदूषण भी उनकी सांसों को कमजोर बनता चला जा रहा है।
खैर! ये सब आप क्यूं सोंचेंगे, आपके घर में तो ताजा भोजन और शुद्ध पानी है। इतना ही नही, आप तो घर के बाहर भी पूरे इंतजाम के साथ निकलते हैं। काश! उस गरीब का भी ख्याल कर लिया होता जो चैबीसों घंटे इस जहरीली हवा में रहने को मजबूर है, गंदा पानी पीनें को मजबूर है और कूड़ें से निकला बचा-खुचा खाने को मजबूर है।
सरकार, आपके दफ्तर और आपके बच्चों के स्कूलों की छुट्टियां तो घोषित करवा देती है। लेकिन उन गलियों, उन रैन बसेरों, फुटपाथों और बस्तियों का क्या, जहां ये गरीब बसते हैं, क्या वो, वहां भी कोई इंतजाम करा पाती है। सरकार से निवेदन है मेरा कि वो इन गलियों का भी रूख करें क्योंकि ये जहरीली हवा अमीरों से ज्यादा गरीबों को अपना शिकार बना रही हैं।
जब अमीरों को परेशानी होती है तो वो सरकार तक पहुंच जाते हैं, मीडिया डिबेट में शामिल हो जाते हैं। गुजारिश है मेरा उन मीडियाकर्मियों से कि अपने कैमरे का फोकस जरा इन अमीरों से हटा, उन गरीबों की ओर मोड़ लें और जरा एक मास्क उन्हें भी पहना दें क्योंकि इन अमीरों से ज्यादा प्रदूषण उन गरीबों को डसता है।
वरना वो दिन दूर नहीं जब सुनने में आएगा कि वो मर गया, इसलिए नही क्योंकि उसके मुंह में निवाला नही था बल्कि इसलिए क्योंकि उसे आपने, सांस लेने का भी मोहताज बना दिया था। एक और बात, जो अमीर सबसे ज्यादा प्रदूषण का शोर मचा रहे हैं, प्रदूषण फैलाने के पीछे वही सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं।