तंबाकू छोड़कर खुद और अपने परिवार को कोविड-19 से बचाएं

नई दिल्ली । तंबाकू का सेवन हमेशा नुकसानदायक होता है, लेकिन यह कोरोना वायरस से फैली महामारी के समय में कहीं ज्यादा नुकसानदायक साबित हो रहा है. ऐसा कहा जा रहा है कि सिगरेट, बीड़ी, ई-सिगरेट, हुक्का इत्यादि के सेवन के साथ गुटखा,खैनी, मावा इत्यादि चबाने वाले लोगों में संक्रमण के चपेट में आने की आशंका ज्यादा होती है.

इसकी वजहें भी बेहद स्पष्ट हैं-

  1. अगर आप तंबाकू उत्पादों का सेवन करते हैं तो आप की उंगलियां (जो संक्रमित हो सकती हैं) चेहरा और मुंह को कहीं ज्यादा बार टच करती हैं.
  2. तंबाकू उत्पाद भी संक्रमित हो सकती हैं और वे सीधे आपके मुंह के टच में आ रहे हैं.
  3. तंबाकू उत्पादों को शेयर करने का चलन भी आम है. सिगरेट, बीड़ी, हुक्का, ई-सिगरेट इत्यादि लोग शेयर करके इस्तेमाल करते हैं. एक दूसरी की बनाई खैनी और मावा इत्यादि का उपयोग भी करते हैं. इससे संक्रमण फैलने की आशंका बनी रहती है.
  4. ध्रूमपान और तंबाकू सेवन से प्रतिरोधी क्षमता कम होने के चलते फेफड़ों और छाती में संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है. जाहिर है कि ध्रूमपान नहीं करने वालों की तुलना में ध्रूमपान करने वालों के कोविड-19 संक्रमित होने की आशंका ज्यादा होती है.
  5. ध्रूमपान करने से शरीर में ऐसे एंज्यामस बढ़ने की आशंका होती है जो फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे कोरोना वायरस फेफड़े पर आसानी से हमला बोल सकता है.

इसके अलावा ध्रूमपान करने वालों में ध्रूमपान नहीं करने वालों की तुलना में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं ज्यादा होती हैं. ध्रूमपान करने वालों में क्रॉनिक ऑब्सट्रेक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी- फेफड़े की क्षमता कम करने वाली बीमारी), हृदय रोग और अस्थामा जैसी बीमारियां ध्रूमपान करने वालों में आम तौर पर होती जो दूसरे बीमारियों का खतरा भी बढ़ा देत है. ऐसे में ध्रूमपान में करने वालों के कोरोना वायरस की चपेट में आना खतरनाक हो सकता है और जानलेवा हो सकता है. ध्रूमपान करने वालों के कोरोना संक्रमित होने पर उनमें न्यूमोनिया होने का खतरा कहीं ज्यादा होता है. अब तक यह जाहिर हुआ है कि कोरोना वायरस से उन लोगों की मौत ज्यादा हो रही है जो हाइपर टेंशन, डायबिटीज, सीओपीडी जैसी बीमारियों की चपेट में थे, यह सब बीमारियां ध्रूमपान से जुड़ी हैं.

वहीं गुटखा, खैनी के रूप में तंबाकू चबाने वाले लोग कोरोना संक्रमण को फैला सकते हैं क्योंकि इन्हें ये तंबाकू चबाकर थूकना होता है. कोविड-19 संक्रमित व्यक्तियों के नाक या मुंह से निकलने वाले कफ, खांसी, थूक के जरिए छोटे ड्रापलेट्स के जरिए संक्रमण दूसरे तक पहुंच सकता है. ये ड्रापलेट्स कहीं भी ठहर सकते हैं और इसमें मौजूद कोरोना वायरस कुछ घंटे से लेकर कई दिनों तक जीवित रह सकता है. इन चीजों को छूने और उसके बाद अपनी आंख, नाक और मुंह को छुने से दूसरे लोग संक्रमित हो सकते हैं.

इन्हीं वजहों से कहा जा रहा है कि किसी भी तरह तंबाकू के सेवन- ध्रूमपान या चबाने- से कोरोना संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है, इससे दूसरे मुश्किलें के जटिल होने की आशंका बढ़ जाती है और संक्रमण फैलने की दर को तेज हो सकती है.इसके चलते ही, भारत के कई राज्यों ने तंबाकू के उत्पादों के इस्तेमाल और सार्वजनिक पर थूक फेंकने पर आंशिक या पूरी तरह से पाबंदी लगाने का फैसला लिया है. कुछ राज्य और जिलों में तंबाकू उत्पाद के उत्पादन और बिक्री पर भी रोक लगी हुई है.

 

 

LifeFirst यानी लाइफफर्स्ट तंबाकू पर से निर्भरता दूर करने वाला उपचार कार्यक्रम है. सलाम बॉम्बे फाउंडेशन के सहयोग से नरोत्तम सेकसरिया फाउंडेशन के इस कार्यक्रम में अनुभवी काउंसलर तंबाकू छोड़ने के लिए सलाह देते हैं. ध्रूमपान करने वाले या तंबाकू चबाने वाले लोग नीचे दिए गए फोन नंबर पर फोन करके हमारे काउंसलर से मुफ्त सलाह ले सकते हैं. इसके बाद फॉलोअप वाले फोन हमारे काउंसलर की ओर से किए जाएंगे.

 

इसके चलते तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों को तंबाकू उत्पाद नहीं मिल रहा है. अनचाहे संयम के चलते इन लोगों में तंबाकू छोड़ने की उम्मीद भी जगी है. दरअसल, तंबाकू उत्पादों के इस्तेमाल को छोड़ने के लिए इससे बेहतर समय नहीं मिल सकता. तंबाकू छोड़ने ने ना केवल आप खुद को कोरोना वायरस से संक्रमित होने से बचा सकत हैं बल्कि अपने परिवार और समाज को भी बचा सकते हैं. तंबाकू उत्पादों के सेवन को छोड़ने से आपकी सेहत बेहतर होगी. हृदय रोग, कैंसर, फेफड़े संबंधी रोग और दूसरी बीमारियों की चपेट में आने का खतरा भी कम होता है.

 

आलेख: डॉ. हिमांशु ए. गुप्ते, जनरल मैनेजर,  नरोत्तम सेकसरिया फाउंडेशन

 

 

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