दिल्ली सहित कई राज्याें की झांकी नहीं दिखेगी

संदीप ठाकुर

नई दिल्ली। 69वें गणतंत्र दिवस समाराेह यानी 26 जनवरी परेड में इस बार राजपथ पर 10 देशाें के राष्ट्राध्यक्ष बेशक दिखें लेकिन दिल्ली सहित कई राज्याें की झांकी नहीं दिखेगी। हरियाणा,उत्तरप्रदेश,पश्चिम बंगाल,गाेवा की झांकी इस बार नदारत रहेगी। दिल्ली राज्य की झांकी गत वर्ष भी राजपथ पर नहीं उतरी थी। इस बार 26 जनवरी काे जिन 14 राज्याे की झांकी दिखाई देगी उनमें गुजरात,हिमाचल प्रदेश,जम्मू-कश्मीर,असम,छत्तीसगढ़,कर्नाटक,केरल,लक्ष्यद्वीप,मध्यप्रदेश,महाराष्ट्र,पंजाब,मणिपुर,त्रिपुरा,तथा उत्तराखंड शामिल हैं। सवाल यह है कि दिल्ली जाे देश की राजधानी है की झांकी आखिर परेड में क्याें शामिल नहीं हाे रही है। क्या दिल्ली सरकार काे यह फिजूलखर्ची लगता है या फिर इसके पीछे भी राजनीतिक कारण है। रक्षा मंत्रालय के सूत्राें ने बताया कि झांकी शामिल हाे इसमें दिल्ली सरकार की काेई दिलचस्पी नहीं है। अप्रत्यक्ष ताैर पर दिल्ली सरकार काे यह संदेश भी भिजवाया गया था कि 26 जनवरी आने वाला है…झांकी के बारे में गंभीरता से साेचें। पिछले साल भी केजरीवाल सरकार ने झांकी शामिल करने के लिए काेई दवाब नहीं बनाया था। सनद रहे कि एक बार केजरीवाल 26 जनवरी के आसपास रेल भवन के सामने अपने लाव लश्कर के साथ घरने पर भी बैठ गए थे। उनका कहना था कि 26 जनवरी पर फिजूलखर्ची बंद हाेनी चाहिए। उनके इस बयान के लिए उनकी जबरदस्त आलाेचना हुई थी। राजधानीवासियाें का कहना है कि परेड में दिल्ली की झांकी ताे अवश्य हाेनी चाहिए थी क्याेंकि यह देश की राजधानी है आार झांकी विकास व भावी याेजनाआें का प्रतीक।
लेकिन देश में नेताआें के साथ परेशानी यह है कि वे हर बात में राजनीति करने लगते हैं फिर वह मुद्दा देशहित से ही जुड़ा क्याें न हाे। सिर्फ भारत माता की जय व वंदे मातरम् के नारे लगाने से काेई देशभक्त नहीं हाे जाता है। झांकी क्याें नहीं है इस पर दिल्ली सरकार का काेई अधिकारी,मंत्री व नेता मुंह खाेलने काे तैयार नहीं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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