आरटीआई के दुरुपयोग पर जांच तंत्र लगाने के लिए प्रतिबद्ध सरकारें

नई दिल्ली । निहित स्वार्थों द्वारा सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणियों और दिशा-निर्देशों का अनुपालन करते हुए, भारत सरकार और राज्यों की सरकारें अब आरटीआई नाम में ‘ब्लैकमेल’ और ‘विलोपन’ पर सख्त जांच तंत्र लगाने की योजना बनाती हैं। हाल ही में हुए ऐसे ही एक मामले में दिल्ली-एनसीआर के आरटीआई कार्यकर्ताओं में से एक मदन लाल आज़ाद भी जांच एजेंसियों की रडार पर आए हैं।

हालांकि उनके खिलाफ किसी भी पुलिस स्टेशन में कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं है अब तक। ऐसी ही एक कंपनी जो इन दिनों मदनलाल के निशाने है हैलो टैक्सी और बाइक बोट। जिनके खिलाफ एक मामले में इस कंपनी के प्रमोटर्स ने प्रवर्तन एजेंसियों और सूचना आयुक्तों को इस कार्यकर्त्ता की कार्यप्रणाली के बारे में सूचित किया है। एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी मदनलाल आजाद हाल ही में एक कार्यकर्ता और व्हिसल ब्लोअर के रूप में प्रमुखता से आगे आए है। लेकिन सुचना के अधिकार के तहत जबरन वसूली के इस मामले के खिलाफ बाइक बोट कंपनी के प्रमोटर्स भी अब मदन लाल के खिलाफ जांच की मांग कर रहे है।

RTI एक ऐसा कानून है, जो देश भर में भ्रष्टाचार को प्रभावी रूप से कम करने का एक महत्वपूर्ण कानून है, लेकिन यह भी सच है कि कुछ लोग इसका इस्तेमाल ब्लैकमेल करने के लिए करते आ रहे हैं। कुछ दिनों पहले ही असम में एक व्यक्ति को इसी तरह के आरोपों के बाद गिरफ्तार किया गया था। पुलिस स्टेशनों और अन्य सरकारी एजेंसियों में कई अलिखित शिकायतें हैं। एक और मामले में साइबराबाद पुलिस ने हाल ही में कूल 16 आरोपियों को जबरन वसूली, धोखाधड़ी और लोगों को धमकाने के आरोप में गिरफ्तार किया है।

सूचना के कानून का उद्देश्य भ्रष्टाचार को उजागर करना है, ताकि अधिकारियों को निर्णय लेने और करदाताओं के पैसे खर्च करने के तरीके के बारे में जानकारी जनता से नहीं छिपाई जा सके। इस क़ानून के तहत पहले भी कई शक्ति और सार्वजनिक धन का बहुत अधिक दुरुपयोग उजागर हुआ और जाँच की गई है। लेकिन ज्यादातर मामलों में आरोपियों को जल्द ही जमानत भी मिल गयी।

कई आरटीआई और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि सरकार को इस मुद्दे पर तत्काल ध्यान देना चाहिए और मौजूदा कानूनों में कुछ संशोधन करने चाहिए ताकि आरटीआई या व्हिसल ब्लोअर द्वारा जानकारी उजागर करने की आड़ में हो रही अनैतिक प्रथाओं पर रोक लगाई जा सके।आरटीआई के दुरुपयोग पर जांच-तंत्र लगाने के लिए सरकारें पहले भी कदम उठा चुकी है। भारत व्हिसलब्लोअर और आरटीआई कार्यकर्ताओं के नाम पर हो रहे भ्रस्टाचार से भी जूझ साथ जूझ रहा है जो जबरन वसूली और ब्लैकमेल करते हैं। ऐसे में राज्य और केंद्र सरकारों के साथ सुप्रीम कोर्ट भी ऐसे मामलो को अब गंभीरता से ले रहे है।

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