पायलट के उठे जो कदम , वापसी न होने देंगे सनम

नई दिल्ली। कदम तेरे दर से जो उठ गये थे ,,,,फिर   वापस आने मुश्किल हो गये । शायद सचिन पायलट यही सोच रहे हों या न भी सोच रहे हों लेकिन दूसरी तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत यह ठान चुके हैं कि सचिन को किसी भी सूरत कांग्रेस में वापस आने लायक नहीं छोड़ना । जिस तरह से गहलोत दिन प्रतिदिन सचिन पर आरोप दर आरोप लगा और लगवा रहे हैं , उससे तो यही नतीजा निकलता है । पहले अंग्रेजी बोलने वाला और मीडिया मैनेज करने वाला बताया और फिर बढ़ते बढ़ते पहुंच गये आम कोसने वाले की तरह कि सचिन तो नाकारा है , निकम्मा है फिर भी सबसे ज्यादा समय तक इसे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बना कर रखा । इससे ज्यादा सम्मान क्या दूं ? धोखेबाज इतना कि बगल में छुरी घोंप दी ।

देखने में ही भोला भाला या मासूम लगता है सचिन । अंदर कोर्ट और बाहर कोसने का सिलसिला जारी है । सचिन जवाब में कह रहे हैं कि मन दुखी है । ऐसी बातों से किसका मन खुश होता है भला ? लेकिन ऐसी फजीहत और दुर्गति करवाने की जिम्मेदारी किसकी है ? खुद अपनी । अपने हाथों अपनी पंचवटी लुटा दी, उजाड़ दी । किसी का क्या दोष ? क्रिकेट की भाषा में टाइमिंग गलत हो गयी । छक्का लगने चले थे , बिल्कुल मानेसर की सीमा पर लपक लिए गये । आउट करार दिये गये । अब भौंचक्के कि यह क्या हुआ , कैसे हुआ ? कुछ न पूछो । पर अशोक गहलोत भी सीमा से बाहर निकल कर छक्के पे छक्के मार रहे हैं । यह भी हाईकमान को गवारा नहीं पर मजबूर हाई कमान मूक दर्शक बनी हुई है ।

राजनीति में कितना कुछ बदल गया । हाईकमान भी हाईकमान न रही । ऐसी कमज़ोरी से राज्यों के मुख्यमंत्री ही हावी होने लगे । पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह और नवजोत सिद्धू के मामले में क्या कुछ कर पा रही है हाईकमान ? सिद्धू बेशक प्रियंका गांधी से मुलाकात करें या राहुल गांधी से लेकिन चर्चा है कि दूरियां बढ़ती जा रही हैं और एक दिन पंजाब से भी खबर आयेगी कि सिद्धू कांग्रेस से आउट । कहां जायेंगे यह भविष्य के गर्भ में लेकिन हाईकमान कहीं भी हाईकमान वाला रवैया नहीं अपना पा रहा । सब जगह मूकदर्शक । ऐसे तो नहीं बचेगा अनुशासन । ऐसे तो वाकई सबसे पुरानी पार्टी को सोचना पड़ेगा ।

सचिन व अन्य विधायक कोर्ट से बच भी गये तो विधानसभा के व्हिप से मारे जायेंगे । यह कांग्रेस का बी प्लान सामने आ रहा है । यदि कोर्ट ने अयोग्य घोषित न किया तो व्हिप से कर देंगे । यह तय है । अभिमन्यु घिर चुका है । समय तय नहीं । कांग्रेस की इस अंतर्कलह से भाजपा हो या कोई भी विरोधी पार्टी खुश होना स्वाभाविक है । यूपी में बसपा की मायावती ही को देखिए कूद कर राजस्थान में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रही हैं । वैसे भी आजकल हर बयान पर भाजपा के साथ देने की खुशबू आने लगी है । रक्षाबंधन आ रहा है न । देखिए किस नेता की कलाई पे राखी सजती है और बहना का प्यार आता है ,,,,

 

– कमलेश भारतीय,  वरिष्ठ पत्रकार  

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