सनातन को किसी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं: मोहन भागवत

हरिद्वार। पतंजलि में चल रहे संन्यास दीक्षा महोत्सव के आठवें दिन बुधवार शाम को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ऋषि ग्राम पहुंचे। वे यहां चतुर्वेद परायण यज्ञ में भी शामिल हुए। भागवत गुरुवार को गंगा किनारे वीआईपी घाट पर संपन्न होने वाले दीक्षा समारोह में नवदीक्षित संन्यासियों को आशीर्वाद देंगे।

इस मौके पर संघ प्रमुख भागवत ने संन्यास का संकल्प लेने वाले भावी संन्यासियों को सम्बोधित किया। भागवत ने कहा कि सनातन धर्म को किसी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि आप भगवा धारण कर देश की शान बढ़ाने का संकल्प ले रहे हैं। सनातन ही है, जो समय की कसौटी पर खरा उतरा है। बाकी सब बदल जाता है, लेकिन सनातन कभी नहीं बदलता। यह पहले भी था, आज भी है और कल भी रहेगा। हमें अपने आचरण से लोगों को ‘सनातन’ को समझाना होगा। संघ प्रमुख ने कहा कि भगवा त्याग का पर्याय है। त्याग से ही वह प्राप्त होता है, जो संपूर्ण सत्य है।
इस मौके स्वामी रामदेव ने कहा कि पतंजलि के माध्यम से स्वास्थ्य व शिक्षा का बहुत बड़ा आंदोलन चलाया जा रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय शिक्षा बोर्ड, पतंजलि गुरुकुलम्, आचार्यकुलम्, पतंजलि विश्वविद्यालय, पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के माध्यम से शिक्षा क्रान्ति का शंखनाद हो गया है। इस कार्य में पतंजलि के संन्यासियों की भूमिका अहम रहेगी। उन्होंने कहा कि देश स्वतंत्र हो गया किन्तु शिक्षा और चिकित्सा तंत्र अपना है ही नहीं। शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन कर गुलामी की निशानियों को मिटाकर आदर्श महापुरुषों व सनातन को पुनः गौरव प्रदान करने के लिए पतंजलि संकल्पित है।

इस मौके पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि संन्यास मार्ग मोक्ष प्राप्ति का सरलतम साधन है। एक सच्चा संन्यासी अपनी सभी एषणाओं से मुक्त होकर विरक्त भाव से समाज व राष्ट्र के लिए समर्पित हो जाता है। स्वामी रामदेव से दीक्षित होकर सैकड़ों संन्यासी जब देश के विभिन्न क्षेत्रें में नेतृत्व करेंगे तो महर्षि दयानन्द का सपना साकार होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published.