नई दिल्ली। दिल्ली के 73 वर्षीय राकेश को उनके बच्चों ने बीच सड़क पर अकेला छोड़ दिया। वह अकेले नहीं हैं। ऐसे कई बुजुर्ग हैं जिन्हें उनके अपनों ने त्याग दिया है। दूसरी ओर, 65 वर्षीय सुनीता, जिन्हें लोग “वेटलिफ्टिंग मम्मी” के नाम से इंस्टाग्राम पर जानते हैं, हजारों लोगों को प्रेरित कर रही हैं। ये दोनों उन अनगिनत भारतीय वरिष्ठ नागरिकों में शामिल हैं, जो अपनी दृढ़ता और पुनर्निर्माण के जरिए वृद्धावस्था की परिभाषा बदल रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के अनुसार, 2050 तक भारत की लगभग 20% आबादी 60 वर्ष से अधिक की होगी। ऐसे में बुजुर्गों की चुनौतियों का समाधान करना और उनकी संभावनाओं को उजागर करना पहले से कहीं अधिक आवश्यक हो गया है।
दिल्ली में आयोजित सिल्वर सिंर्जी समिट (Silver Synergy Summit), एक अनूठी पहल थी, जिसमें नीति निर्माता, स्वास्थ्य विशेषज्ञ, उद्योग जगत के अग्रणी, सामाजिक संगठनों और विचारशील नेताओं ने वृद्धावस्था से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। दादीदादा फाउंडेशन के नेतृत्व में आयोजित इस सम्मेलन को एनएमडीसी, एनटीपीसी, प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना, एसीसीमैन बिजनेस स्कूल, पंजाब नेशनल बैंक सहित कई प्रतिष्ठित संगठनों का सहयोग प्राप्त था। इस समिट का उद्देश्य वृद्धावस्था को गरिमा, उद्देश्य और नवाचार से जोड़ना था।
भारत सरकार के पूर्व सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री एवं राजस्थान व हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने भारत के वरिष्ठ नागरिकों के ज्ञान और अनुभव की महत्ता को रेखांकित किया। उन्होंने समाज से आग्रह किया कि वे न केवल इन मूल्यों को संरक्षित करें बल्कि इन्हें देश की प्रगति में योगदान के रूप में अपनाएं। इस समिट की संकल्पना दादीदादा फाउंडेशन के संस्थापक श्री मुनि शंकर जी के मार्गदर्शन में विकसित हुई, जिनका उद्देश्य अंतर-पीढ़ीगत समावेशन (Intergenerational Inclusion) को बढ़ावा देना है।