गुजरात विधानसभा चुनाव में किसानों की जीत तय : स्वराज इंडिया

गुजरात । नवगठित राजनीतिक दल स्वराज इंडिया ने कहा है कि गुजरात विधानसभा चुनावों में सबसे मजबूत कारक राज्य के किसानों का वोट होगा राज्य के किसानों में सरकार के किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ गहरा असंतोष है। बुनियादी ढांचे की कमी, सिंचाई के लिए बिजली आवंटन में कमी, नर्मदा परियोजना से वादा किए गए सिंचाई की अनुपलब्धता आदि वजहें मौजूदा सरकार को सत्ता से बेदख़ल करने के लिए पर्याप्त हैं। सरकार एमएसपी को किसानों के लिए लाभकारी बनाये रखने में विफल साबित हुई है. नोटबंदी से किसानों पर दोहरी मार पड़ी है।
पिछले महीने दिल्ली में किसान मुक्ति संसद की सफलता ने सिद्ध किया है कि किसान अब अपने अधिकारों के लिए एकजुट हो रहे हैं। देश भर में संगठित हो रहे किसान अब चुनावी राजनीति में दखल देकर किसान विरोधी पार्टियों को सत्ता से दूर करने को आतुर है, जिसकी शुरुआत गुजरात चुनाव से ही होगी। किसानों और ग्रामीण भारत की उपेक्षा करने वाली कोई भी सरकार सत्ता में नहीं रहेगी।
गुजरात विधानसभा चुनाव में किसानों का वोट अहम होगा। स्वराज इंडिया पार्टी ने यह भी कहा कि न केवल गुजरात बल्कि आने वाले समय में देश के सभी चुनावों में किसानों के मत की अहम भूमिका होगी। स्वराज इंडिया पिछले दो वर्षों से किसानों के मुद्दों पर काम कर रही है। यह पहला राजनीतिक संगठन है जिसने खेती किसानी के मुद्दों को राजनीति के केंद्र में लाने का काम किया है और किसानों की पार्टी के रूप में पहचान बनायीं है। स्वराज के कार्यकर्ताओं ने जून 2015 से, किसानों की समस्याओं पर समर्पित होकर काम करता रहा है। सूखा प्रभावित क्षेत्रों मराठवाड़ा और बुंदेलखंड में लगभग 250 किलोमीटर पैदल यात्रा की। हाल ही में किसान मुक्ति यात्रा के कार्यक्रम के तहत स्वराज इंडिया ने देश भर में घूमकर किसानों को संगठित किया।
वर्तमान की मोदी-शाह-रुपानी मॉडल को सबसे ज्यादा किसान विरोधी पर बताते हुए स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा कि कृषि संकट के कारण पूरे गुजरात के किसानों में रोष है। इस चुनाव में गुजरात के किसान साथ मिलकर अन्याय, उपेक्षा, और दमन के ख़िलाफ अपने लोकतांत्रिक और चुनावी अधिकार का प्रयोग कर निकम्मी और गांव-किसान विरोधी सरकार को सत्ता से बाहर करेंगे। यह चौंकाने वाली बात है कि गुजरात मॉडल का फरेब प्रचार करने वाली सरकार के पास कृषि नीति दस्तावेज नहीं है। इससे स्पष्ट पता चलता है की एक बड़ा मतदाता वर्ग सरकार की प्राथमिकता में नहीं है। नर्मदा परियोजना से सिंचाई का किया वादा लंबे समय से पूरा नहीं हुआ है। अबतक 18 लाख हेक्टेयर में से केवल 3 लाख हेक्टेयर को सिंचाई का पानी प्राप्त हुआ है। सिंचाई के पानी की आपूर्ति करने में विफल रही बीजेपी सरकार ने बिजली की आपूर्ति में कटौती करके 10 से 8 घंटे तक कर दिया है, जिससे किसानों को सिंचाई की मुश्किलें बढ़ गयी है। केंद्र और राज्य में बीजेपी सरकार द्वारा कृषि संबंधी मुद्दों की नासमझी का पता चला जब नोटबंदी को सबसे अनुचित समय पर घोषित किया गया। 2016 में जब खरीफ बेचने की शुरूआत हुई फसल के दाम गिर चुके थे जिससे किसानों को भारी नुकसान भी हुआ।
सरकार की उपेक्षा की वजह से कृषि के लागत मूल्य में असीमित वृद्धि हुई है जबकि उपज के मूल्यों में गिरावट आई है। पूंजीपतियों को छूट और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की लूट इस सरकार का वास्तविक चरित्र है. किसानों के कल्याण को ध्यान में रखकर बनाये गये फसल बीमा योजना भी निजी बीमा कंपनियों के स्वार्थ को पूरा कर रहा है। इस प्रकार बीजेपी ने किसानों को संतुष्ट रखने के लिए टोकन राशि और प्रचार का सहारा लिया लेकिन असली मुद्दों पर लापरवाह बनी रही। देश में पैदा हुए गंभीर कृषि संकट, किसानों की आत्महत्या, सुखा, फसल की कीमतों में कमी इसके विनाशकारी नतीजे हैं.
स्वराज इंडिया महासचिव अजित झा ने कहा कि वर्तमान की बीजेपी सरकार की वादा खिलाफी के विरोध में पूरे देश के 50,000 से अधिक किसानों ने हाल ही में एक ऐतिहासिक किसान मुक्ति संसद के लिए दिल्ली में जुटे. जिसमे किसानों ने सम्पूर्ण कर्ज़ मुक्ति और उपज का डेढ़ गुना दाम देने का मांग रखा गया। किसान मुक्ति संसद से भाजपा समेत सभी राजनीतिक दलों में सन्देश जाना चाहिए था लेकिन दुर्भाग्य है की भाजपा दीवार पर लिखी इबारत नही पढ़ पा रही है जिसका सीधा असर गुजरात के चुनाव पर पड़ेगा। दिल्ली में किसान मुक्ति संसद की सफलता ने सिद्ध किया है कि वह कृषि संकट की उपेक्षा के खिलाफ आंदोलन के लिए तैयार है. किसानों ने अपने हक़ और अधिकारों के लिए आवाज़ उठाना सीख लिया है.
अब पार्टियाँ अगर सत्ता में बने रहना चाहती हैं तो निर्वाचित सरकारों को किसानों की आवाज़ सुननी होगी। इस परिप्रेक्ष्य में गुजरात चुनाव किसानों की एकजुटता का इम्तेहान भी है। गुजरात में हारने या जीतने वाली किसी भी पार्टी से ज्यादा, सभी राजनीतिक दलों के लिए यह महत्वपूर्ण सबक होगा। आने वाले समय में, किसान अपनी वर्ग ताकत को चुनावी हस्तक्षेप के रूप में आगे बढायेगाव। जो भी राजनितिक दल ग्रामीण भारत और कृषि अर्थव्यवस्था की अनदेखी करेगा उसे से जाना होगा.
गुजरात में वडगाम विधानसभा सीट से स्वतंत्र उम्मीदवार जिग्नेश मेवानी के लिए प्रचार करते हुए स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा की गुजरात का यह चुनाव एक ऐतिहासिक बदलाव की शुरुआत है, जो किसानों की आवाज़ को भारतीय राजनीति की मुख्यधारा में लायेगा. गुजरात की जनता राज्य सरकार के 22 साल से झूठे प्रचार, खोखले दावे और विभाजनकारी राजनीति से त्रस्त है. स्वराज इंडिया गुजरात के किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए यहां हैं।

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