अंधेपन के खिलाफ एकजुटता की अपील

नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार 80 फीसदी दृष्टि दोषों को या तो रोाका जा सकता है या इलाज के द्वारा ठीक किया जा सकता है। 2015 में 940 मिलियन ला लोग दृष्टि दोष से पीड़ित थे। इनमें से भारत, चीन और उप-सहारा अफ्रीका क्षेत्रों में 246 मिलियन लोगों की नज़र कमजोर थी। साथ ही 45 मिलियन (इनका 60 फीसदी) लोग अंधेपन का शिकार थे। इस स्थिति से निपटने के लिए कई प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार, भारत में 8 मिलियन लोग लोग अंधेपन का शिकार हैं और 50 मिलियन लोग मध्यम से गंभीर दृष्टि दोषों से पीड़ित हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा के अनुसार, केन्द्र सरकार गुणवत्तापूवर्ण नेत्र देखभाल सेवाओं के दृष्टि दोषों की रोकथाम एवं नियन्त्रण के लिए प्रयासरत है। इसी के मद्देनज़र सरकार ने ‘सभी के लिए नेत्र स्वास्थ्य’ दृष्टिकोण के साथ एनपीसीबी रणनीति तैयार की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अगर समय पर उचित उपाय नहीं किए जाते, तो 2020 तक दुनिया भर में अंधेपन के मामलों में 100 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। ये आंकडें बेहद चिंताजनक हैं और इन पर जल्द से जल्द ध्यान देने की ज़रूरत है।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार कहते हैं कि आॅप्टोमेट्री (नेत्र चिकित्सा) नेत्र स्वास्थ्य और प्रबन्धन के लिए पारम्परिक रूप सेस्पेक्टेकल लैंस और काॅन्टेक्ट लैंस थेरेपी पर ही केन्द्रित रही है। हाला ंकि पिछले दशक में कई अन्य महत्वपूर्ण सेवाओं को भी इस क्षेत्र में शामिल किया गया है। आज के नेत्र विशेषज्ञों और पेशेवरों को इस तरह से प्रशिक्षित किया जाता है कि वे मरीज़ों को सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध करा सकें। इन प्रयसों के द्वारा रिफरेक्टिव त्रुटि एवं दृष्टि दोषों के कारण होने वाले अंधेपन के 80 फीसदी मामलों की रोकथाम की जा सकती है।

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