रांची। झारखंड में पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए को 14 में से 12 सीटें मिली थीं। एनडीए की घेराबंदी करने के लिए लंबे समय तक चली कवायद के बाद एनडीए को 14 सीटों पर टक्कर देने के लिए महागठबंधन का स्वरूप लंबे जददोजहद के बाद तैयार हुआ। वो भी पूर्ण आकार नहीं ले पाया। महागठबंधन में सहमति बनाने के लिए लगभग छह माह की कवायद चली। रांची और दिल्ली में कई दौर की बैठकें भी हुईं। कई बार हां और कई बार ना की स्थिति बनीं। एक दूसरे को दबाने और धमकाने की भी चालें चली गईं। अंततः सात, चार, दो और एक के फार्मूले पर सहमति बनी। इस सहमति में वामंपथी दलों को जगह नहीं मिल पाई और राजद भी इस फार्मूले से बगावत कर गया। चतरा में कांग्रेस और राजद आमने-सामने हैं। अन्य सीटों पर महागठबंधन की गांठें तो मजबूत दिख रही हैं, लेकिन दलों और नेताओं के बीच हुए तालमेल के बाद कार्यकर्ताओं में कितना तालमेल बन पाया है, ये तो 23 मई को नतीजे वाले दिन ही पता चल पाएगा।
महागठबंधन को अंतिम रूप देने की जब कवायद चल रही थी, उस दौरान महागठबंधन के फार्मूले के औपचारिक घोषणा के बाद भी कांग्रेस सहित महागठबंधन के सभी दलों के नेता ये दावा करते थे कि इस बार झारखंड के 14 में से 14 सीटें महागठबंधन जीतेगा और एनडीए का खाता भी नहीं खुल पाएगा। लेकिन, पिछले ही दिनों एक निजी चैनल के कार्यक्रम में जब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ अजय कुमार से एंकर ने जब ये पूछा कि महागठबंधन 14 में से कितनी सीटें जीतेगा ? तो उसके जवाब में डाॅ अजय कुमार ने ये कहा कि महागठबंधन 11 सीटों पर सीधी लडाई में है। मतलब, मतदान से पूर्व ही कांग्रेस ने 14 में से 3 सीटों पर महागठबंधन की हार स्वीकार कर ली है।
अब ये 3 सीटें कौन सी हैं, ये तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार ही बता सकते हैं ? लेकिन, उनके इस बयान को राजनीतिक पर्यवेक्षक इस रूप में ले रहे हैं कि मतदान से पूर्व ही जब वो तीन सीट पर हार स्वीकार कर रहे हैं, इसका मतलब साफ है कि महागठबंधन दलों के बीच सीटों का चुनाव और उम्मीदवारों के चयन में कहीं न कहीं चूक हुई है और इस चूक की जिम्मेवारी भी कांग्रेस के मत्थे मढी जाएगी, क्योंकि सीटों का बंटवारा और संख्या तय करने में कांग्रेस ने अहम भूमिका अदा की है।
महागठबंधन 14 में से 14 सीटों पर जीतने का दावा करता था, लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के बयान ने चुनाव परिणाम आने से पहले ही अपने पूर्व के दावों की हवा निकाल दी है। जिन 11 सीटों पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सीधी लडाई होने की बात कह रहे हैं, उन सीटों पर भी उंट किस करवट बैठेगा, ये भी 23 मई को ही पता चलेगा। चुनाव प्रचार, चुनाव प्रबंधन तथा आपसी तालमेल में भी एनडीए महागठबंधन पर भारी पड रहा है। ऐसे में जिन 11 सीटों पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सीधी लडाई की बात कर रहे हैं उन 11 सीटों पर यदि नतीजे महागठबंधन के पक्ष में नहीं आए, तो इसका असर विधानसभा चुनाव पर भी पडेगा और हो सकता है महागठबंधन में और भी कईं गांठें पड जाएं।