कई साहित्यकारों के लिए संजीवनी बन रहा “मैथिली मचान”

नई दिल्ली। अमूमन मिथिला खासकर मैथिली के साहित्यकारों की पीडा होती है कि उनकी पुस्तकें पाठक तक पहुंच नहीं पाती है। दूसरी ओर, पाठक भी इस बात को लेकर उदास …

21वीं सदी में और भी प्रासंगिक हैं महामना 

  मालवीय जी के जीवन का प्रत्येक पल देशहित के चिंतन एवं कार्यों में व्यतीत हुआ था। उन्नति का कोई भी ऐसा विषय या क्षेत्र नहीं, जिसमें उन्होंने अग्रणी भूमिका …

हिन्दी रंगभूमि का कठिन व साहसिक आयोजन ‘राजकमल जयन्ती’

नई दिल्ली। संगीत नाटक अकादमी और मैथिल-भोजपुरी अकादमी के सौजन्य से हिंदी रंगभूमि द्वारा दिल्ली में आयोजित राजकमल जयंती कार्यक्रम उनके साहित्य के पुनरवलोकन की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण रहा. …

विद्यापति का सामाजिक सरोकार

आज जब हम धर्म और सामाजिक सरोकारों के द्वंद्व से जूझ रहे हैं, तब क्या हमारे पूर्ववर्ती समाज से कुछ लिखित या मौखिक परंपरा की विरासत है, जिसका फलक सर्वकालिक …

क्यों आएं इनको शर्म-ओ-हया ?

दिल्ली में इन दिनों सैकड़ो संस्थाएँ स्थापित हो गयी है जिनका समाज के काम या भलाई का कोई उद्देश्य नहीं होता बस राजनीति करण और चाटुकारिता के पंगु हो गए …

मैथिली सहित सभी भारतीय भाषाओं के उन्नयन के लिए पुस्तक न्यास संकल्पित: बलदेव भाई शर्मा

नई दिल्ली। भारतीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) के अध्यक्ष बलदेव भाई शर्मा कहते हैं कि हम निरंतर भारतीय भाषाओं के उन्नयन के लिए कार्य कर रहे हैं। कोई भी भाषा न …

सबसे बडा क्या 

वे हमारे परिचित हैं । लगभग रोज ही अपने परिवार की उलझनों पर बात करते रहते हैं । एक दिन शाम को हम लोग उनके घर गये तो उनकी पत्नी …

बीएचयू के कुलपति के रूप में मात्र एक रूपया लेते थे डाॅ लालजी सिंह

धनंजय गिरि भारत के मशहूर डीएनए वैज्ञानिक और काशी हिंदी विश्वविद्यालय (बीएचयू) के पूर्व कुलपति डॉ. लालजी सिंह का 70 साल की उम्र में निधन हो गया है। डीएनए फिंगरप्रिंट …

मैथिली गीतिकाव्य को आगे बढ़ा रहे हैं मणिकांत

सामाजिक सांस्कृति संस्था “सुगति सोपान” और “एमलिओर फाउंडेशन” के सौजन्य से हुआ आयोजन नई दिल्ली। मैथिली भाषा गीतिकाव्य परंपरा को आकाशवाणी दरभंगा के संवाददाता व भारत निर्वाचन आयोग के आइकान …