मोदी तुझसे बैर नहीं, “रघुवर” तेरी खैर नहीं !

भाजपा का एक धडा बीते कई महीनों से मुख्यमंत्री रघुवर दास से नाराज चल रहा है। कहा तो यह भी जाता है कि आदिवासी नेता रघुवर दास को अपना मुख्यिा तक मानने को तैयार नहीं है। संघ की कई बैठकों में यह स्वर उठ चुका है कि अविलंब रघुवर दास को हटा दिया जाए। लेकिन, दिल्ली में पार्टी आलाकमान रघुवर दास को लेकर आज भी संशय में हैं। पार्टी के सूत्र तो यहां तक बता रहे हैं कि कई केंद्रीय मंत्री और पार्टी के बडे नेता रघुवर दास के प्रति अपनी नाराजगी से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को अवगत करा चुके है।ं

रांची। मोदी तुझसे बैर नहीं, रघुवर तेरी खैर नहीं – यही नारे आजकल झारखंड की सियासी हवाओं में तैर रहे हैं। मौसम भले ही सर्द एहसास कराने को बेताब है, लेकिन सूबे की सियासत में उबाल आता दिख रहा है। रांची से लेकर दिल्ली तक की दौड मुख्यमंत्री सहित कई विधायक लगा रहे हैं। मुख्यमंत्री के कुछेक भरोसेमंद अधिकारी भी दिल्ली जाकर वहां की नब्ज टटोलने की कवायद कर रहे हैं। सीधे मुंह भले ही कोई कुछ न बोले, लेकिन कानाफूसी में कहीं कोई कमी नहीं है।
भाजपा का एक धडा बीते कई महीनों से मुख्यमंत्री रघुवर दास से नाराज चल रहा है। कहा तो यह भी जाता है कि आदिवासी नेता रघुवर दास को अपना मुख्यिा तक मानने को तैयार नहीं है। संघ की कई बैठकों में यह स्वर उठ चुका है कि अविलंब रघुवर दास को हटा दिया जाए। लेकिन, दिल्ली में पार्टी आलाकमान रघुवर दास को लेकर आज भी संशय में हैं। पार्टी के सूत्र तो यहां तक बता रहे हैं कि कई केंद्रीय मंत्री और पार्टी के बडे नेता रघुवर दास के प्रति अपनी नाराजगी से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को अवगत करा चुके है।ं साथ ही यह भी अंदेशा जता चुक हैं कि विधानसभा चुनाव तक रघुवर के हाथ में कमान रही, तो भाजपा किसी भी सूरत में दोबारा बहुमत की सरकार नहीं बना सकती है।
बीते दिनों भाजपा के कई विधायक दिल्ली में रहे। इसमें भाजपा के आदिवासी विधायक व झाविमो से भाजपा में आये विधायक भी शामिल थे। इन विधायकों ने दिल्ली में पार्टी के प्रमुख नेताओं से बातचीत की। उसके बादा से राज्य की राजनीतिक हलकों में कई तरह की चर्चा उठी। उसके बाद ही पार्टी के लोगों ने अपने सोशल मीडिया के माध्यमांे से इस बात को एक दूसरे को निजी तौर पर कहना शुरू कर दिया है – मोदी तुझसे बैर नहीं, रघुवर तेरी खैर नहीं।
सरकार और संगठन में जब सामंजस्य नहीं हो और नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने लगे, तो स्थितियां प्रतिकूल होने लगती हैं। वर्तमान में इस सच को सबसे बेहतर झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास से बेहतर शायद ही कोई समझ सकता है। बीते कुछ महीनों से मुख्यमंत्री रघुवर दास को हटाने के लिए भाजपा के कई विधायक रांची से दिल्ली तक की दौड लगा चुके हैं।असल में , झारखंड में जिसने आदिवासियों को जीत लिया, मुख्यमंत्री की कुर्सी उसी की होती है। हैरत की बात है कि जिस आदिवासी बहुल राज्य की राजनीति पूरी तरीके से जनजातियों और पिछड़ों के इर्द-गिर्द घुमती है, वहां की सत्ता में आदिवासियों का सीधा दखल ना के बराबर है। मुख्यमंत्री रघुवर दास को हटाने के लिए भाजपा विधायक रांची से दिल्ली की दौड लगा रहे हैं। कई भाजपा सांसदों का भी इन विधायकों को समर्थन प्राप्त है। हाल ही में जब मुख्यमंत्री रघुवर दास बैठक में भाग लेने दिल्ली आए, तो संगठन के नेताओं से उनकी इस बाबत बातचीत हुई थी।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published.