तो राजनीति की भेंट चढ गया जेट एयरबेज ?

नई दिल्ली। आज की खबर यही है कि जेट एयरबेज के तमाम हवाई जहाज जमीन पर धडाम हो चुके हैं। किसी भी स्तर पर कंपनी को आर्थिक सहायता नहीं मिली। कुछ महीनों से संकट को लेकर जो अंदेशा था, वह आखिर में सही हुआ। कहा जा रहा है कि 20 हजार के करीब लोग बेरोजगार हो गए। उनके लिए आगे का क्या रास्ता होगा, कहना मुश्किल है। सरकारी स्तर पर कहा जा रहा है कि नागर विमानन मंत्रालय चीजों को गंभीरता से ले रहा है। जो बेहतर और नियम सम्मत उपाय होंगे, किए जाएंगे। उड़ानें अस्थायी रूप से बंद होने की आशंका की खबरों के कारण जेट का शेयर बीएसई पर मंगलवार को इंट्रा-डे में 18.5% तक गिर गया। क्लोजिंग 7.6% नीचे 241.85 रुपए पर हुई।

कर्ज संकट से जूझ रही जेट एयरवेज ने बुधवार रात से अपनी सभी उड़ानें अस्थायी तौर पर बंद कर दीं। एयरलाइन ने यह फैसला इसलिए लिया, क्योंकि संकट से उबरने और ऑपरेशन जारी रखने के लिए उसे 400 करोड़ रु. की इमरजेंसी फंडिंग नहीं मिल पाई। सीईओ विनय दुबे ने ऑपरेशन जारी रखने के लिए एसबीआई से तत्काल 400 करोड़ रुपए देने का आग्रह किया था। मंगलवार को जेट के सिर्फ 5 विमानों ने उड़ान भरी थी। मंगलवार सुबह जेट के बोर्ड की तीन घंटे तक बैठक हुई। बैंकों से मदद नहीं मिलने के कारण मैनेजमेंट ने बोर्ड के सामने कुछ दिन के लिए ऑपरेशन पूरी तरह बंद करने का प्रस्ताव रखा था।

दूसरी ओर सियासी हलकों में यह भी कहा जा रहा है कि जेट एयरवेज आर्थिक के साथ-साथ राजनीतिक संकट का शिकार हुआ। असल में, जेट एयरवेज के संकट के राजनीतिक कनेक्शन भी हैं। नरेश गोयल का उदय कांग्रेस पार्टी के शासन काल में हुआ था। लेकिन 2014 में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार आने के बाद इसकी समस्याएं शुरू हो गईं। सूत्रों के अनुसार बीजेपी की सहयोगी शिवसेना के साथ जेट एयरवेज के मैनेजमेंट के संबंध अच्छे नहीं हैं। इसने बीजेपी से कहा है कि जेट को सरकार की तरफ से कोई मदद न दी जाए।

जेट में मुंबई की एक सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहे एनसीपी नेता के भी पैसे लगे हैं। सूत्रों ने कहा, एनआरआई नरेश गोयल के पास इतने पैसे हैं कि अकेले जेट को संकट से उबार सकते हैं। लेकिन ज्यादातर पैसा कालेधन में है। उनका दुबई और लंदन में होटल चेन है। इसलिए जब एयरलाइन बंद होने के कगार पर है, वह चाहते हैं कि बैंक ही कर्मचारियों की सैलरी का खर्च उठाएं।

 

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