भारत और रूस की दोस्ती समय की कसौटी पर खरी उतरी है : मोदी

सोची। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उनकी रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के साथ यहां बातचीत अत्यंत सफल रही। दोनों नेताओं ने भारत-रूस के रिश्तों की पूरी श्रंखला के साथ साथ विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर भी विचार विमर्श किया। मोदी और पुतिन की यह पहली अनौपचारिक बैठक थी। इसका आयोजन काला सागर तट के इस शहर में किया गया था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और रूस की दोस्ती समय की कसौटी पर खरी उतरी है और आने वाले वर्षों में यह नई ऊंचाईयों पर पहुंचेगी। पीएम मोदी ने इस अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए कहा कि पूर्वप्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और राष्ट्रपति पुतिन ने दोनों देशों की रणनीतिक भागीदारी का जो बीज बोया था, वह अब विशेष विशेषाधिकारपूर्ण रणनीतिक भागीदारी के रुप में विकसित हो गई है। यह अपने आप में बहुत बडी उपलब्धि है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं राष्ट्रपति पुतिन का आभारी हूं, जिन्होंने मुझे अनौपचारिक मुलाकात के लिये आमंत्रित किया और अब इसके बाद हमारी इस लंबी दोस्ती में यह एक नया पहलू जुड़ गया है।ह्ण उन्होंने कहा, ह्यआपने द्विपक्षीय रिश्तों में अनौपचारिक शिखर सम्मेलन का एक नया पहलू जोड़ दिया है। मेरा मानना है कि यह एक बड़ा अवसर है और यह विश्वास बढ़ाने वाला है।
रूस की आधिकारिक समाचार एजेंसी तास ने विदेश मंत्री सेरगेई लावरोव के हवाले से कहा कि दोनों नेताओं के बीच, ह्यसोमवार को काफी गहन बातचीत हुई। उन्होंने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि भारत और रूस के नेताओं के बीच जारी अनौपचारिक संपर्क काफी उपयोगी होगा और इससे हमारी रणनीति भागीदारी और विकास के लिए आगे की दिशा तय करने में मदद मिलेगी। विदेश मंत्री ने कहा कि इस दौरान क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर हमारे बीच विशिष्ट सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों के बारे में विचार विमर्श हुआ। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी ने आर्थिक मुद्दों पर हुई बाचतीत पर विशेष ध्यान दिया। रूस के विदेश मंत्री लावरोव ने कहा कि हमने हमारी विशिष्ट अधिकार प्राप्त रणनीतिक भागीदारी के तमाम पहलुओं पर विचार विमर्श किया। अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया और व्यापारिक आंकड़ों में हो रही वृद्धि पर भी गौर किया।
गौर करने योग्य यह भी है कि दोनों नेताओं के बीच शिखर बातचीत से पहले रूस सरकार के प्रवक्ता द्मित्री पेस्कोव ने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ रूस- भारत सैन्य सहयोग पर विचार विमर्श करेंगे। रूस पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच इस तरह के बातचीत का अनुमान व्यक्त किया गया। सूत्रों ने कहा कि भारत नहीं चाहेगा कि रूस के साथ उसके रक्षा संबंधों को किसी पर किसी अन्य देश का निर्देश लागू हो। एक सूत्र ने कहा भारत इस मामले में अमेरिकी सरकार से सम्पर्क में है। अमेरिका के एक कानून के तहत रूस से ऊंची कीमत वाले रक्षा सामान खरीदने पर अमेरिकी प्रतिबंध का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में रुसी एस-400 ट्रायंफ प्रक्षेपास्त्र रक्षा प्रणाली की प्रस्तावित खरीदार करने पर भारत के खिलाफ अमेरिकी कानून के तहत प्रतिबंध लाग सकता है।
पीएम मोदी ने सोमवार की बैठक में अपने संबोधन की शुरुआत में शंघाई सहयोग संगठन में भारत को स्थाई सदस्यता दिलाने में बड़ी भूमिका के लिए रूस को धन्यवाद दिया। शंघाई सहयोग संगठन में आठ देश सदस्य हैं जिसका उद्देश्य सदस्य देशों के बीच सैन्य और आर्थिक सहयोग बढ़ाना है। भारत और पाकिस्तान पिछले वर्ष इस संगठन में शामिल हुए। मोदी ने कहा,ह्यहम अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) और ब्रिक्स पर एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने प्रचंड बहुमत के साथ चौथी बार राष्ट्रपति बनने के लिए पुतिन को बधाई भी दी। मोदी का स्वागत करते हुए पुतिन ने कहा कि उनकी यात्रा से द्विपक्षीय संबंधों को एक नई गति मिलेगी। पुतिन ने कहा कि हमारे रक्षा मंत्रालयों के बीच करीबी संपर्क और सहयोग है। यह हमारे बीच भागीदारी के काफी ऊंचे रणनीतिक स्तर का सबूत है। उन्होंने बहुपक्षीय मंचों की कूटनीति विशेषकर संयुक्त राष्ट्र, ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) और एससीओ में दोनों देशों के बीच तालमेल की भी प्रशंसा की। पुतिन ने यह भी कहा कि पिछले वर्ष द्विपक्षीय व्यापार में काफी वृद्धि हुई और इस वर्ष पहले कुछ महीनों में ही इसमें 17 प्रतिशत की और बढ़ोत्तरी हुई है।

 

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