जयश्री राम बनाम जयहिंद

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। पश्चिमी बंगाल में एक नया पोस्टकार्ड युद्ध शुरू हुआ है । एक तरफ भाजपा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नाम जयश्री राम लिखवा कर दस करोड पोस्टकार्ड पोस्ट करने जा रही है तो दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस भी जयहिंद लिखकर पोस्टकार्ड भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह के नाम भेजेगी । यह सोशल मीडिया के बाद दूसरा नया युद्ध होगा । अभी तक तो सोशल मीडिया के वार रूम से लडाई लडी जा रही थी । अब पोस्ट ऑफिस के माध्यम से लडाई लडी जाएगी । दोनों सेनाएं युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार हैं । विधानसभा चुनाव तक कितने नये अभियान सामने आएंगे कह नहीं सकते ।
एक बात तो है कि जहां आम भारतवासी के लिए क्या जयश्री राम और तो क्या जयहिंद , दोनों एक समान पवित्र नारे हैं और दोनों में कोई बुराई नहीं लेकिन ये राजनीति है जो एक को बुरा और दूसरे को अच्छा बना देती है ।

जयश्री राम भाजपा के लिए अब पश्चिमी बंगाल के विधानसभा चुनाव जीतने के लिए रामबाण है तो ममता बनर्जी ने सुभाषचंद्र बोस के जयहिंद को अपनी ढाल बनाने की सोची है । अब राम और सुभाष के बीच जंग लडी जाएगी । फिर राम तो राम हैं । उनका क्या मुकाबला ? पर बंगालियों के लिए सुभाष चंद्र नेताजी भी कम नहीं । देखते हैं कि कौन कौन कितने पानी में है ? ममता या अमित शाह ?
दूसरी ओर मजेदार बात यह हुई कि यूपी में महागठबंधन चुनाव परिणाम के बाद टूट गया । बुआ और बबुआ अलग अलग राह पर चल निकले । पहले बुआ ने अलग होने की घोषणा की तो फिर अखिलेश यादव ने कहा कि बधाई । हम भी उपचुनाव अकेले ही लड लेंगे बुआ जी ।इस तरह महागठबंधन सचमुच महामिलावटी निकला । चुनाव परिणाम आते ही कलई खुल गयी । मुलम्मा उतर गया । इसी तरह बुआ ने हरियाणा में भी लोकसुरक्षा पार्टी के साथ गठबंधन तोड डाला । इस तरह मायावती ने सारे गठबंधनों से तौबा कर ली । यह साबित हो गया कि ये गठबंधन अवसरवादी थे । अवसर निकल गया और पहचानते नहीं । मतलब निकल गया तो पहचानते नहीं । यह कैसी राजनीति है ? कितनी छोटी सोच । ऊपर से कह रही हैं कि यह परमानेंट ब्रेकअप नहीं । यह फिल्मी सितारों जैसा ब्रेक अप अब राजनीति में भी होने लगा है । अब खबरें आया करेंगी फिल्मी ब्रेक अप की तरह । सलमान और कैट अलग । रणवीर कपूर कैट अलग । रणवीर आलिया एक । अब आएगी खबर ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल एकजुट । मायावती अखिलेश अलग । कांग्रेस एनसीपी में नजदीकियां बढीं । ऐसे कितनी मजेदार खबरें हो जाएंगी शुष्क राजनीति कीं ।
मुद्दे भी कैसे कैसे ? जयश्री राम बनाम जयहिंद । अब इंतजार कीजिए नये युद्ध की । 
यह नये मिजाज की राजनीति है 
जरा ध्यान से समझा करो 
या फिर 
जग में सुंदर हैं दो नारे 
चाहे जयहिंद कहो या जयश्रीराम 

 
– कमलेश भारतीय 

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