सरकार के शीर्ष नेतृत्व को प्रसून जोशी भा रहे हैं तो इसकी वजह सिर्फ उनका विज्ञापन जगत से होना नहीं है.क्या प्रसून जोशी नरेंद्र मोदी के लिए 2019 के चुनाव प्रचार की स्क्रिप्ट भी लिख रहे हैं?
नई दिल्ली। लंदन में दो घंटे 40 मिनट तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछने वाले प्रसून जोशी की मीडिया में आलोचना हो रही है, कुछ लोग उनका मजाक उड़ा रहे हैं. प्रसून जोशी को ‘स्पून जोशी’ तक कहा जा रहा है, मोदी का ‘दरबारी कवि’ तक बुलाया गया. प्रसून जोशी आगे भी ऐसा करते रहेंगे. कुछ पत्रकार भले ही उनसे नाराज़ हों, लेकिन प्रधानमंत्री को प्रसून का अंदाज़ पसंद आया. ‘भारत की बात सबके साथ’ कार्यक्रम से जुड़े एक अधिकारी बताते हैं, ‘आइडिया प्रधानमंत्री का था और इसे पर्दे पर हूबहू प्रसून जोशी ने उतारा. एक टीवी शो की तरह पूरे कार्यक्रम को कोरियोग्राफ किया गया था. इस शो की पूरी स्क्रिप्ट खुद प्रसून जोशी ने लिखी थी.’
वे आगे बताते हैं, ‘जिस तरह टेलीविजन शो में अलग-अलग सेगमेंट के हिसाब से प्रोग्रामिंग होती है उसी तरह इस बातचीत के भी अलग-अलग हिस्से थे और हर हिस्से से पहले एक रिकॉर्डेड क्लिप परदे पर आती थी. इस रिकॉर्डेड क्लिप में आवाज़ भले ही किसी और की हो, लेकिन एक-एक अक्षर प्रसून ने ही लिखा था’. इसके लिए भले ही उनकी आलोचना हो रही हो, लेकिन लंदन में हुए इस कार्यक्रम पर नज़र रखने वाले एक पत्रकार का मानना है कि सिर्फ प्रसून जोशी को दोष देना कहीं से भी सही नहीं है. वे कहते हैं, ‘ये पूरा कार्यक्रम सरकार का था. कुछ लोग अगर कह रहे हैं कि कार्यक्रम स्क्रिप्टेड था तो उन्हें समझना चाहिए कि इस तरह के कार्यक्रम स्क्रिप्टेड ही होते हैं. ये सही है कि सवालों की लिस्ट सरकार को पहले से दी गई थी, लोगों से सवाल मंगाए गए थे और उनमें से कुछ चुनिंदा सवाल पूछे गए. प्रसून जोशी को चुना ही इसलिए गया था क्योंकि वो पत्रकार नहीं हैं’.
लेकिन ऐसा क्यों हुआ कि किसी पत्रकार को इस काम के लिए नहीं चुना गया? प्रधानमंत्री कार्यालय के काम-काज को जानने वाले एक सूत्र का कहना है, ‘मोदी के पास देश सभी बड़े अखबरों और न्यूज़ चैनल्स से इंटरव्यू की चिट्ठियां आती हैं. अगर पत्रकार से इंटरव्यू करवाना होता तो किसी भी नामी टीवी संपादक को मौका दिया जा सकता था, लेकिन इस बार मकसद कुछ और था.’ वे आगे जोड़ते हैं, ‘अब तक प्रधानमंत्री मोदी जब भी विदेश में भारतवंशियों के बीच बात कहते थे तो स्वागत के बाद मोदी करीब एक घंटे लंबा भाषण देते थे. वो एकतरफा होता था. लेकिन इस बार स्क्रिप्ट बदली गई, कार्यक्रम का ढांचा बदला गया. भाषण की जगह संवाद को चुना गया और फिर प्रसून जोशी को सूत्रधार के तौर पर लाया गया. लंदन में प्रसून जोशी कार्यक्रम के सूत्रधार थे, पत्रकार नहीं’.
अब सवाल यह है कि सरकार जो प्रसून जोशी से करवाना या कहवाना चाहती थी उसके लिए प्रसून जोशी तैयार क्यों हुए. इस सवाल का जवाब ज्यादा दिलचस्प है. प्रसून जोशी पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी लोगों में नहीं गिने जाते थे. मोदी सरकार में वजन रखने वाले भाजपा के एक नेता बताते हैं, ‘पहले प्रसून जोशी और प्रधानमंत्री के बीच मुलाकात तक नहीं होती थी. प्रसून जोशी कुछ बड़े पत्रकारों या फिल्मकारों के जरिए ही सरकार के गिने-चुने मंत्रियों के करीब आए. अब वे नरेंद्र मोदी, अमित शाह और स्मृति ईरानी, तीनों के बेहद करीब हैं. पहले जिन लोगों के जरिए प्रसून जोशी मंत्रियों से मिल पाते थे अब वो प्रसून जोशी से मिलने के लिए वक्त मांगते हैं’.
नरेंद्र मोदी को सालों से जानने वाले कुछ नेताओं से बात करें तो पता चलता है कि उन्हें ऐसे लोग पसंद हैं जो टैलेंटेड हों, लेकिन हेडलाइन हंग्री नहीं. अगर मीडिया या फिल्म से जुड़े भी हों तो खुद खबर न बनें. प्रसून जोशी ने पिछले कुछ महीनों में अपने आप को साबित किया है. सेंसर बोर्ड के प्रमुख के तौर पर जब फिल्म ‘पद्मावत’ का विवाद हुआ तो उन्होंने बहुत ही समझदारी से बीच का रास्ता निकाला और एक बार भी इंटरव्यू नहीं दिया.
प्रसून जोशी की एक और खासियत है जो सरकार के शीर्ष नेतृत्व को पसंद आई. प्रसून की दोस्ती देश के सभी बड़े पत्रकारों और अखबार मालिकों से है. लेकिन अब प्रसून ने उनसे थोड़ी दूरी बनानी शुरू कर दी है. वे कभी खबरें प्लांट करने या सरकारी बातों को मीडिया तक पहुंचाने के लिए नहीं जाने जाते. इसलिए प्रसून जोशी पर सरकार का भरोसा बढ़ता जा रहा है. सुनी-सुनाई है कि मोदी को लंदन का कार्यक्रम इतना पसंद आया कि वे प्रसून जोशी को 2019 की तैयारी के लिए अनौपचारिक तौर से संदेश भिजवा चुके हैं.
कुछ दावों के मुताबिक 2014 में भी प्रसून जोशी ने नरेंद्र मोदी के लिए दो-चार नारे और स्लोगन लिखे थे. लेकिन तब तक वे सिर्फ एक कवि और एक कंपनी के चीफ के तौर पर ही नरेंद्र मोदी के लिए काम कर रहे थे. लेकिन बताया जा रहा है कि अब प्रसून जोशी की दोस्ती दिल्ली दरबार में बढ़ती जा रही है और 2019 के चुनाव में उनकी भूमिका अहम हो सकती है. भाजपा ने अभी से अगले लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू करने का फैसला किया है और प्रसून जोशी इसमें उसकी मदद करेंगे.